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दहेज में कार की मांग पर शादी समारोह में हुआ बवाल

दहेज की मांग ने शादी के मंडप को बनाया अखाड़ा

भारतीय समाज में दहेज प्रथा एक ऐसी कुरीति है, जिसके चलते अनेकों बार खुशियों के मौके विवादों और तनाव का कारण बन जाते हैं। ऐसी ही एक घटना हाल ही में सामने आई, जहां एक शादी समारोह में दहेज के रूप में कार की मांग को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया।

यह घटना उस समय घटी जब विवाह के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं और दोनों परिवार इस नए बंधन का जश्न मनाने के लिए उत्सुक थे। लेकिन, शादी के कुछ ही घंटे पहले, दूल्हे के परिवार ने अचानक दहेज में एक नई कार की मांग कर दी। इस मांग ने न केवल वधू पक्ष को चौंका दिया बल्कि उन्हें गहरे आघात में भी डाल दिया।

वधू पक्ष ने इस मांग को न केवल अनुचित बताया बल्कि इसे दहेज प्रथा के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर भी माना। उन्होंने दूल्हे के परिवार की इस मांग को साफ तौर पर ठुकरा दिया। इसके परिणामस्वरूप, शादी समारोह के स्थल पर तनावपूर्ण माहौल बन गया और दोनों पक्षों के बीच गहरी दरार पैदा हो गई।

इस विवाद ने न केवल शादी के जश्न को बाधित किया बल्कि इसने समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक नई चेतना को भी जगाया। लोगों ने इस घटना को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया और दहेज प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज उठाई।

इस घटना के बाद, समाज के विभिन्न वर्गों से लोगों ने दहेज प्रथा को समाप्त करने की मांग की। शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और आम नागरिकों ने इस प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और सरकार से इसे और अधिक कठोरता से निपटने की मांग की।

इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया कि दहेज प्रथा न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि समाज में भी गहरी जड़ें जमाए हुए है। यह प्रथा न केवल विवाहित जोड़ों के बीच संबंधों को प्रभावित करती है बल्कि यह समाज में लिंग आधारित असमानताओं को भी बढ़ावा देती है।

इस घटना के माध्यम से, यह स्पष्ट हो गया है कि दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। समाज के हर वर्ग को इस कुरीति के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी और इसे जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रयास करने होंगे। तभी हम एक समान, न्यायपूर्ण और समृद्ध समाज की कल्पना को साकार कर सकेंगे।

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