केंद्र सरकार का डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण

डिजिटल युग में, जहां मीडिया की पहुंच और प्रभाव असीमित है, भारत सरकार ने डिजिटल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स के विनियमन के लिए एक नई नीति की घोषणा की है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य सामग्री की गुणवत्ता और उसके प्रसारण को नियंत्रित करना है, ताकि उपभोक्ताओं को उचित और संतुलित सामग्री प्रदान की जा सके।

इस नीति के अंतर्गत, सरकार ने डिजिटल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए कुछ मानक निर्धारित किए हैं। इनमें सामग्री की श्रेणीबद्धता, उपयोगकर्ता शिकायत निवारण तंत्र, और स्व-नियमन की व्यवस्था शामिल है। इसके अलावा, सरकार ने एक निगरानी तंत्र की भी स्थापना की है, जिसके अंतर्गत सामग्री की समीक्षा और उस पर नियंत्रण संभव हो सकेगा।

इस नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह उपभोक्ताओं को अधिक अधिकार और चयन की स्वतंत्रता प्रदान करता है। उपभोक्ता अब यह तय कर सकेंगे कि वे किस प्रकार की सामग्री देखना चाहते हैं, और उन्हें किसी भी आपत्तिजनक या अनुचित सामग्री के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार होगा।

हालांकि, इस नीति को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं। मीडिया और संचार के क्षेत्र में सक्रिय कई संगठनों ने इसे स्वतंत्रता पर एक प्रकार का अंकुश माना है। उनका कहना है कि सरकारी नियंत्रण से सृजनात्मकता पर बाधा उत्पन्न हो सकती है और यह सूचना के प्रवाह पर भी प्रभाव डाल सकता है।

इसके अलावा, इस नीति के कार्यान्वयन में भी कई चुनौतियां हैं। डिजिटल मीडिया की विशालता और विविधता को देखते हुए, सामग्री की निगरानी और विनियमन एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए सरकार को न केवल तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता होगी, बल्कि एक पारदर्शी और न्यायसंगत तंत्र की भी जरूरत होगी।

इस नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में भारत की वैश्विक छवि को प्रभावित कर सकता है। एक ओर जहां यह नीति उपभोक्ता सुरक्षा और सामग्री की गुणवत्ता को बढ़ावा देती है, वहीं दूसरी ओर यह अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की छवि पर प्रभाव डाल सकती है।