यूपी सरकार की नई सोशल मीडिया नीति: सरकार की तारीफ करें और कमाएं 8 लाख रुपये हर महीने
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक नई सोशल मीडिया नीति की घोषणा की है, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में खलबली मचा दी है। इस नीति के तहत, अगर आप सोशल मीडिया पर सरकार की तारीफ करते हैं, तो आप हर महीने 8 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। यह घोषणा प्रदेश में एक नई बहस का कारण बन गई है, जिसमें इस नीति के नैतिक और राजनीतिक पहलुओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
यूपी सरकार की इस नीति का उद्देश्य सोशल मीडिया पर सरकार की छवि को बेहतर बनाना और नकारात्मक प्रचार को कम करना है। इस योजना के तहत, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और आम नागरिकों को सरकार की नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों की सराहना करने पर वित्तीय लाभ दिया जाएगा।
सरकार का कहना है कि यह नीति प्रदेश में सकारात्मकता फैलाने और सरकार की अच्छी नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर सरकार के बारे में फैलाई जा रही गलत जानकारियों और अफवाहों का मुकाबला करने के लिए यह कदम जरूरी है।
इस योजना के तहत, सोशल मीडिया पर सरकार की तारीफ करने वाले पोस्ट्स, ब्लॉग्स, वीडियो और अन्य कंटेंट को मान्यता दी जाएगी और इन पर मिलने वाले लाइक्स, शेयर, और व्यूज के आधार पर वित्तीय इनाम दिया जाएगा। सबसे प्रभावी कंटेंट निर्माताओं को हर महीने 8 लाख रुपये तक की राशि दी जा सकती है।
हालांकि, इस नीति की घोषणा के बाद से ही विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी नेताओं ने इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह नीति सरकार के पक्ष में प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए जनता के पैसे का दुरुपयोग है।
सामाजिक संगठनों का भी कहना है कि इस तरह की नीति से सरकार की आलोचना को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। वे इसे ‘पेड प्रोपेगैंडा’ करार दे रहे हैं, जिसमें केवल उन्हीं लोगों को पुरस्कृत किया जाएगा जो सरकार की तारीफ करेंगे, जबकि सरकार की नीतियों की आलोचना करने वालों को नजरअंदाज किया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह नीति सोशल मीडिया के प्रभाव को समझते हुए बनाई गई है, लेकिन इसका नैतिक पहलू विवादास्पद है। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह जनता के विचारों को सुनने और उनकी आलोचना को समझने के लिए मंच प्रदान करे, न कि केवल प्रशंसा करने वालों को ही पुरस्कृत करे।
इस बीच, सोशल मीडिया पर भी इस नीति को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। जहां कुछ लोग इसे एक अच्छा अवसर मान रहे हैं, वहीं अधिकतर लोग इसे स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए खतरा मानते हैं।
यूपी सरकार की इस नीति का असली प्रभाव क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल, इसने राज्य और देशभर में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या यह नीति सोशल मीडिया पर सकारात्मकता फैलाने में सफल होगी, या फिर यह सरकार के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने का एक साधन बन जाएगी?
अब देखना यह होगा कि इस नीति को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और इसका प्रदेश की जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इस घोषणा ने राजनीतिक हलकों में एक नई हलचल पैदा कर दी है।