झारखंड की राजनीति में भूचाल: चंपई सोरेन का झामुमो छोड़ने का इरादा
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच चंपई सोरेन ने पार्टी छोड़ने का संकेत दिया है। झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री, चंपई सोरेन, जिन्होंने कुछ महीनों पहले हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री पद संभाला था, ने पार्टी से अपने अलग होने की संभावना जताई है। यह कदम उस समय आया है जब पार्टी के भीतर गहरे मतभेद और मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की तैयारी कर ली है और इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल से मिलने का समय भी मांगा है। यह संकेत दे रहा है कि वे अब झामुमो में अपनी भूमिका को लेकर संतुष्ट नहीं हैं और पार्टी के भीतर उन्हें लगातार अपमान और अस्वीकृति का सामना करना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने राज्यपाल से मिलने के लिए 7:30 बजे का समय मांगा है और इस मुलाकात के बाद उनके इस्तीफे की औपचारिक घोषणा हो सकती है।
हेमंत सोरेन, जो झामुमो के एक प्रमुख चेहरे हैं, हाल ही में जेल से रिहा हुए हैं और पार्टी के विधायकों के बीच एक बैठक में उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, इस फैसले ने चंपई सोरेन को पार्टी में असुरक्षित महसूस कराया है और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा है। भाजपा ने भी इस स्थिति को लेकर झामुमो पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि झामुमो में परिवारवाद का बोलबाला है, जहां परिवार से बाहर के नेताओं के लिए कोई स्थायी भविष्य नहीं है।
चंपई सोरेन, जिन्हें राजनीतिक हलकों में ‘कोल्हान का बाघ’ कहा जाता है, अब इस असहमति के बाद ‘चूहा’ बना दिया गया है। झामुमो के विधायक और कांग्रेस-राजद गठबंधन के समर्थन से सरकार में बहुमत हासिल करने के बावजूद, पार्टी में उठ रहे असंतोष के स्वर ने चंपई सोरेन को अपनी अगली रणनीति पर विचार करने पर मजबूर कर दिया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि चंपई सोरेन अपने राजनीतिक करियर को किस दिशा में ले जाते हैं। क्या वे नई पार्टी बनाएंगे, भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे, या फिर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपनी नई राजनीतिक यात्रा शुरू करेंगे, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।