बेटे की मौत पर क्रूर पिताको 25 साल की सजा
कैलिफोर्निया: एक चौंकाने वाली घटना में, एक निर्दयी पिता को अपने छह वर्षीय बेटे को ट्रेडमिल पर बार-बार दौड़ाकर मौत की सजा भुगतनी पड़ी। इस घोर अमानवीय कृत्य के परिणामस्वरूप, पिता को 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। यह मामला न केवल बाल शोषण का है, बल्कि एक जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है।
यह दर्दनाक घटना कैलिफोर्निया के एक परिवार की है, जहां एक पिता ने अपने बेटे को लगातार ट्रेडमिल पर दौड़ने के लिए मजबूर किया। बच्चे की हालत इतनी गंभीर हो गई कि वह कई बार ट्रेडमिल से गिर गया और अंततः उसकी मौत हो गई। अदालत में प्रस्तुत सबूतों के अनुसार, बच्चे को बार-बार गिरने और चोट लगने के बावजूद उसे नहीं बख्शा गया।
अदालत ने इस कृत्य को घोर निर्दयता और अमानवीयता का उदाहरण मानते हुए पिता को दोषी ठहराया। जज ने कहा, “यह केवल शारीरिक शोषण नहीं है, बल्कि एक नन्ही जान की निर्मम हत्या है। इस तरह का क्रूर व्यवहार अस्वीकार्य है और इसके लिए कड़ी सजा मिलनी चाहिए।”
A New Jersey father, Christopher Gregory, is accused of killing his 6-year-old son, Corey Micciolo.
The father was allegedly biting him on the head as he forced him to run on a treadmill that was moving too fast.
Shortly after the incident, Corey was rushed to the doctor because… pic.twitter.com/LWOgx9c2gE— DISASTER TRACKER (@DisasterTrackHQ) May 2, 2024
बच्चे की मां ने अदालत में बताया कि कैसे उनके पति ने बच्चे को अनुशासन के नाम पर शारीरिक यातनाएं दीं। बच्चे की मां ने कहा, “वह हमारे बच्चे को रोजाना ट्रेडमिल पर दौड़ने के लिए मजबूर करता था। अगर वह रुकता या थकता, तो उसे मारता-पीटता। हमारे बच्चे ने बहुत कष्ट सहे।”
डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे के शरीर पर कई चोटों के निशान थे, जो लंबे समय से शारीरिक शोषण का प्रमाण थे। बच्चे की मौत के बाद, पुलिस ने पिता को गिरफ्तार किया और उस पर हत्या का मामला दर्ज किया।
इस मामले ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। बाल अधिकार संगठनों ने इस घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया है और कहा है कि बच्चों के प्रति इस तरह की बर्बरता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की है।
अदालत के फैसले के बाद, बाल अधिकार संगठनों ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है। उन्होंने कहा, “यह फैसला न केवल न्याय की जीत है, बल्कि एक संदेश भी है कि बाल शोषण करने वालों को कड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी।”
इस घटना ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए समाज को सतर्क और जागरूक रहना होगा। बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार की हिंसा या शोषण को रोकने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा।
अदालत ने इस मामले में एक मजबूत संदेश दिया है कि बच्चों के साथ किसी भी तरह की क्रूरता या शोषण को सहन नहीं किया जाएगा और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।