उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधेयक की पेशी
उत्तराखंड विधानसभा में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम के रूप में, समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) का विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और अधिकार संबंधी मामलों में एक समान कानूनी प्रक्रिया को लागू करना है, जो सभी नागरिकों के लिए एक समान होगी भले ही उनका धर्म या समुदाय कुछ भी हो।
इस विधेयक की पेशी को राज्य सरकार की ओर से एक प्रगतिशील और साहसिक कदम माना जा रहा है। इसके लागू होने से उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन जाएगा जहाँ समान नागरिक संहिता को अधिनियमित किया गया है।
समान नागरिक संहिता के समर्थकों का कहना है कि यह विधेयक नागरिकों के बीच समानता सुनिश्चित करेगा और धार्मिक तथा सामाजिक भेदभाव को खत्म करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह विधेयक महिलाओं के अधिकारों को मजबूती प्रदान करेगा और उन्हें अधिक सुरक्षा और समानता देगा।
हालांकि, इस विधेयक का कुछ समुदायों और समूहों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। विरोधियों का मानना है कि यह विधेयक उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को खतरे में डाल सकता है। उनका यह भी आरोप है कि समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव एक विशेष विचारधारा को थोपने का प्रयास है।
विधेयक की पेशी के बाद, उत्तराखंड विधानसभा में इस पर गहन चर्चा हुई। सरकार ने इस विधेयक को राज्य के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया और इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने की बात कही।
इस विधेयक की पेशी ने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर यह विधेयक किस दिशा में जाता है और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है। उत्तराखंड सरकार का यह कदम भारतीय समाज में समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।