बीआरएस नेता के. कविता का कांग्रेस पर हमला, डीएमके सांसद दयानिधि मारन की विवादित टिप्पणी पर उठाए सवाल

बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) की नेता के. कविता ने हाल ही में डीएमके सांसद दयानिधि मारन की विवादित टिप्पणी पर कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाया है। मारन ने हिंदी भाषियों के बारे में एक विवादास्पद बयान दिया था, जिस पर कविता ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

कविता ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह डीएमके के इस तरह के बयानों पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान हिंदी भाषियों और हिंदू समुदाय के प्रति असम्मानजनक हैं। कविता ने यह भी कहा कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ एक पीआर अभियान की तरह लगती है और उन्होंने राहुल गांधी से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा है।

इस विवाद में कविता का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह डीएमके के इस तरह के बयानों को अनदेखा कर रही है, जो कि भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है।

कविता ने यह भी कहा कि ऐसे बयानों से देश में भाषाई और सामाजिक विभाजन को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कांग्रेस से इस मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट करने की मांग की है।

कविता का यह बयान उनकी पार्टी बीआरएस की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। बीआरएस ने हाल ही में अपनी स्थापना की है और वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश में है। इस तरह के बयानों से वह अपने आप को एक राष्ट्रवादी और समावेशी पार्टी के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है।

इस विवाद के बाद, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले समय में और भी गरमाएगा और इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है। विशेषकर, जब देश में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है।

कविता के इस बयान ने न केवल कांग्रेस बल्कि डीएमके और अन्य राजनीतिक दलों को भी इस मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट करने के लिए मजबूर किया है। इससे भारतीय राजनीति में भाषाई और सांस्कृतिक मुद्दों पर एक नई बहस की शुरुआत हो सकती है।