मणिपुर के सबसे पुराने सशस्त्र समूह, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने भारत सरकार और मणिपुर सरकार के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, UNLF ने हिंसा का त्याग करने और मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है। यह समझौता नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और UNLF के कुछ सदस्यों की उपस्थिति में हुआ।
UNLF, जो मणिपुर की घाटी में स्थित सबसे पुराना सशस्त्र समूह है, ने इस समझौते के माध्यम से हिंसा का त्याग करने और भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में शामिल होने का संकल्प लिया है। इस समझौते को भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक “ऐतिहासिक मील का पत्थर” के रूप में वर्णित किया है।
यह समझौता मणिपुर में छह दशकों से चल रहे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है। UNLF का यह कदम राज्य में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस समझौते के तहत, UNLF ने अपने सशस्त्र संघर्ष को समाप्त करने और राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होने का संकल्प लिया है।
इस शांति समझौते के माध्यम से, UNLF ने अपने सदस्यों के पुनर्वास और उनके सामाजिक और आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया को स्वीकार किया है। इसके अलावा, इस समझौते में मणिपुर के विकास और प्रगति के लिए सहयोग करने की बात भी शामिल है।
इस शांति समझौते को भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते से न केवल मणिपुर में शांति और स्थिरता आएगी, बल्कि यह राज्य के विकास और प्रगति के लिए भी एक नई दिशा प्रदान करेगा।
इस शांति समझौते के माध्यम से, UNLF और भारत सरकार ने एक साझा विजन की ओर कदम बढ़ाया है, जिसमें मणिपुर के लोगों के लिए शांति, समृद्धि और विकास की आशा है। इस समझौते के माध्यम से, UNLF ने अपने सदस्यों के लिए एक नई और शांतिपूर्ण जीवन की राह खोली है।
इस शांति समझौते का स्वागत करते हुए, भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह समझौता मणिपुर के लोगों के लिए एक नई शुरुआत है और यह राज्य के विकास और प्रगति के लिए एक नया अध्याय है। उन्होंने UNLF के सदस्यों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में शामिल होने का स्वागत किया और उन्हें शांति और प्रगति के पथ पर चलने की शुभकामनाएं दीं।